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भैरव की उत्पत्ति तथा आठ रूपों की पौराणिक कथा | | Kaal Bhairav | | Video Kalash

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Published 5 Jan 2020

दोस्तों हिन्दू धर्म में भैरव को महादेव का पांचवा रूद्र माना गया है। विश्वास किया जाता है कि, भैरव का रूप इतना भयावाह है कि, स्वयं काल भी इनसे डरता है, इसीलिए इन्हें काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है। शिव पुराण से हमें पता चलता है कि, इस सृष्टि का निर्माण तीन तत्वों से मिलकर हुआ है, जिन्हें सत्व, तम और रज कहते है और भगवान शिव को इन तीनों गुणों के स्वामी है। शायद इसी कारण के चलते इनके भक्तगण हमेशा कहते है कि, शिव इस संसार के कण-कण में व्याप्त हैं तथा उनके रूद्रावतार भैरव इन तत्वों के संरक्षक। पौराणिक ग्रंथों में काल भैरव को दिशाओं का रक्षक तथा काशी के कोतवाल के रूप में दर्शाया गया है। तो आइये एक बार विस्तार से प्रकाश डालते है, बाबा भैरव की उत्पत्ति तथा उनके आठ रूपों की इस पौराणिक कथा पर। नमस्कार और एक बार फिर स्वागत है, आप सभी का आपके अपने 'वीडियो कलश' युट्यूब चैनल पर। Follow us on: Facebook: https://www.facebook.com/videokalashtube

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